अक्षय तृतीया 2025: तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

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अक्षय तृतीया, जिसे ‘अखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को शुभ और फलदायी माना जाता है, क्योंकि इस दिन का हर कार्य अनंत काल तक अक्षय फल देता है। ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है, “जो कभी समाप्त न हो”। इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य जैसे दान, जप, तप, स्नान, हवन और पूजा-पाठ का फल कभी समाप्त नहीं होता।

अक्षय तृतीया 2025 की तिथि

अक्षय तृतीया 2025 में 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन को पूरे भारत में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन शुभ कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व

अक्षय तृतीया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। हिंदू धर्म में यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसे धार्मिक अनुष्ठानों, पूजाओं, और दान-पुण्य के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन को त्रेतायुग के आरंभ का प्रतीक भी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन कई धार्मिक गतिविधियों का आयोजन होता है और इसे आर्थिक उन्नति और आध्यात्मिक समृद्धि का दिन माना जाता है।

पौराणिक मान्यताएँ

अक्षय तृतीया से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं हैं, जो इस दिन के महत्व को और भी अधिक बढ़ाती हैं। कुछ प्रमुख कथाएँ इस प्रकार हैं:

  1. भगवान परशुराम का जन्म: अक्षय तृतीया का दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान परशुराम को शस्त्र विद्या और युद्ध कौशल का स्वामी माना जाता है। इसलिए, इस दिन को उनके अनुयायी विशेष रूप से पूजते हैं।
  2. द्रौपदी को अक्षय पात्र का उपहार: महाभारत की कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की पत्नी द्रौपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था। इस पात्र में भोजन कभी समाप्त नहीं होता था, और वह पांडवों की निर्वासन के दौरान भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करता रहा। यह घटना भी अक्षय तृतीया के महत्व को दर्शाती है।
  3. गंगा अवतरण: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इस दिन गंगा स्नान को विशेष पुण्यकारी माना जाता है और गंगा किनारे पूजा-पाठ करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  4. वेद व्यास द्वारा महाभारत की रचना: इसी दिन महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश की सहायता से महाभारत की रचना शुरू की थी। यह दिन लेखन और ज्ञानार्जन के लिए भी शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया के अनुष्ठान और परंपराएँ

अक्षय तृतीया के दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का पालन किया जाता है। इस दिन किए गए सभी कार्य विशेष फलदायी होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएँ दी गई हैं:

  1. पवित्र स्नान: अक्षय तृतीया की सुबह पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो घर में स्नान करने के बाद भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है।
  2. भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान भक्तगण पीले वस्त्र धारण करते हैं और भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करते हैं।
  3. दान और पुण्य: अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन जल से भरे घड़े, अन्न, वस्त्र, चांदी, सोना, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान अक्षय फल देता है।
  4. विवाह: अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, अर्थात इस दिन विवाह जैसे शुभ कार्य बिना किसी ज्योतिषीय गणना के किए जा सकते हैं। इस दिन विवाह करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली और सौभाग्य आता है।
  5. सोने की खरीदारी: इस दिन सोने की खरीदारी का विशेष महत्व है। इसे संपत्ति और धन की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन सोने या चांदी के आभूषण खरीदते हैं, ताकि उनके जीवन में स्थाई संपत्ति का आगमन हो।
  6. नए कार्यों की शुरुआत: अक्षय तृतीया के दिन नए व्यापार, संपत्ति, वाहन या घर की खरीदारी भी शुभ मानी जाती है। इसे जीवन में उन्नति और प्रगति का प्रतीक माना जाता है।

अक्षय तृतीया 2025 के लिए शुभ मुहूर्त

2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल से लेकर संध्या तक रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नई व्यवसायिक गतिविधियों की शुरुआत, बिना किसी ज्योतिषीय मुहूर्त के भी अत्यंत फलदायी होते हैं।

अक्षय तृतीया पर क्या करें:

  1. सोने या चांदी की खरीदारी करें: यह मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।
  2. दान करें: इस दिन अन्न, वस्त्र, जल, और अन्य वस्तुओं का दान अत्यधिक शुभ माना जाता है। विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
  3. विवाह और अन्य शुभ कार्य: अक्षय तृतीया के दिन बिना किसी ज्योतिषीय मुहूर्त के विवाह, गृह प्रवेश, या अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
  4. भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें: इस दिन विष्णु और लक्ष्मी की पूजा से धन और समृद्धि का आगमन होता है।

अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व

अक्षय तृतीया को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर अत्यधिक शुभ होता है। जब सूर्य मेष राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं, तब अक्षय तृतीया आती है। इसे ‘स्वयं सिद्ध मुहूर्त’ कहा जाता है, अर्थात इस दिन किए गए कार्य के लिए किसी अन्य शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।

निष्कर्ष

अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य अक्षय फल देते हैं और जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाते हैं। 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी, जो सभी के लिए एक विशेष और महत्वपूर्ण अवसर होगा। चाहे वह विवाह हो, सोने की खरीदारी हो, या फिर दान-पुण्य, इस दिन का हर कार्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली लाने वाला होता है।

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