Chhath Puja 2024: जानिए छठ पूजा की तिथि, समय, मुहूर्त और पूजा विधि

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Chhath Puja 2024 Date, Time, Muhurat In UP Bihar and Jharkhand

छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मइया की आराधना की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में धूमधाम से मनाई जाती है। छठ पूजा को सूर्य उपासना का महापर्व कहा जाता है, जहां व्रती सूर्य देवता को अर्घ्य देकर परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

छठ पूजा 2024 कब है? (Chhath Puja Kab Hai​)

साल 2024 में छठ पूजा 2024 की शुरुआत 6 नवंबर से होगी और यह 9 नवंबर तक चलेगी। यह पर्व चार दिनों का होता है, जिसमें व्रती विशेष नियमों का पालन करते हुए सूर्य देवता की उपासना करते हैं।

छठ पूजा 2024 तिथि और समय (Chhath Puja 2024 Date and Time)

छठ पूजा के सभी प्रमुख दिन इस प्रकार हैं:

  1. नहाय-खाय (6 नवंबर 2024): इस दिन व्रती पवित्र नदी या जलाशय में स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं। इससे छठ व्रत की पवित्र शुरुआत होती है।
  2. खरना (7 नवंबर 2024): इस दिन व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ और चावल से बनी खीर का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं।
  3. संध्या अर्घ्य (8 नवंबर 2024): व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन व्रती परिवार के सदस्यों के साथ गंगा, नदी या जलाशय के किनारे जाकर पूजा करते हैं।
  4. उषा अर्घ्य (9 नवंबर 2024): छठ पूजा का अंतिम दिन होता है, जब उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद व्रत का समापन किया जाता है।

छठ पूजा 2024 का मुहूर्त (Chhath Puja 2024 Muhurat)

  • संध्या अर्घ्य का मुहूर्त (8 नवंबर 2024): शाम 5:30 बजे से 6:00 बजे तक (स्थानीय समय के अनुसार)
  • उषा अर्घ्य का मुहूर्त (9 नवंबर 2024): सुबह 6:30 बजे से 7:00 बजे तक (स्थानीय समय के अनुसार)

छठ पूजा की विशेषता (Chhath Puja Significance)

छठ पूजा में सूर्य की उपासना की जाती है क्योंकि सूर्य जीवन और ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। यह पर्व व्रत, शुद्धता और संयम पर आधारित है, जिसमें व्रती लगातार 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं। इस पूजा में डूबते और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है, जो जीवन के उत्थान और पतन दोनों का प्रतीक है।

छठ पूजा की विधि (Chhath Puja Vidhi)

  1. नहाय-खाय: इस दिन व्रती शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं और पूरे घर की सफाई करते हैं।
  2. खरना: व्रत का दूसरा दिन होता है, जिसमें गुड़ और चावल से बनी खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है।
  3. संध्या अर्घ्य: व्रती डूबते सूर्य को जल, दूध और गन्ने से अर्घ्य अर्पित करते हैं।
  4. उषा अर्घ्य: छठ व्रत का अंतिम दिन होता है, जिसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं।

छठ पूजा 2024 की तैयारी (Chhath Puja Preparation)

  • व्रती नदियों, तालाबों या किसी जलाशय के किनारे साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं।
  • छठ पर्व के दौरान व्रती अपने हाथ से ठेकुआ, नारियल, गन्ना और केले का प्रसाद बनाते हैं।
  • व्रती खास रूप से शुद्ध कपड़े पहनकर पूजा में भाग लेते हैं।

छठ पूजा का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व (Scientific and Religious Importance of Chhath Puja)

छठ पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। सूर्य की किरणें शरीर के लिए ऊर्जा और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। इसके अलावा, इस पर्व के दौरान लोग जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

कब है छठ 2024? (Chhath Puja 2024 Date)

साल 2024 में छठ पूजा की तिथियां हैं:

  • नहाय खाय: 6 नवंबर 2024
  • खरना: 7 नवंबर 2024
  • संध्या अर्घ्य: 8 नवंबर 2024
  • उषा अर्घ्य: 9 नवंबर 2024

इन तिथियों को ध्यान में रखकर आप अपनी छठ पूजा की तैयारियों को अभी से शुरू कर सकते हैं। सूर्य देवता की कृपा और छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस पावन पर्व में भाग लेना आपके जीवन में सकारात्मकता और उन्नति लाएगा।

छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi in Hindi)

छठ पूजा मुख्य रूप से चार दिनों का पर्व होता है, जिसमें व्रती शुद्धता और संकल्प के साथ सूर्य देवता और छठी मइया की उपासना करते हैं। हर दिन की पूजा विधि का खास महत्व है। आइए, जानते हैं छठ पूजा की विस्तृत विधि:

1. नहाय-खाय (पहला दिन)

  • तारीख: 6 नवंबर 2024
  • इस दिन व्रती सुबह स्नान करके पवित्रता का पालन करते हैं। घर की सफाई की जाती है और शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाकर ग्रहण किया जाता है।
  • भोजन में चना दाल, लौकी की सब्जी और चावल का सेवन किया जाता है। इसे नहाय-खाय कहा जाता है क्योंकि इस दिन शुद्ध भोजन के साथ व्रत की शुरुआत होती है।

2. खरना (दूसरा दिन)

  • तारीख: 7 नवंबर 2024
  • इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद पूजा के लिए भोजन तैयार करते हैं।
  • पूजा के बाद व्रती गुड़, चावल और दूध से बनी खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसे खरना कहा जाता है।
  • खरना के बाद व्रती अगले 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है।

3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

  • तारीख: 8 नवंबर 2024
  • इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य जलाशय, नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर दिया जाता है।
  • अर्घ्य देने के लिए एक बाँस की टोकरी में ठेकुआ, गन्ना, नारियल, और अन्य फलों का प्रसाद रखा जाता है।
  • परिवार के सदस्य साथ में उपस्थित होकर सूर्य देवता की आराधना करते हैं और सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है।

4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

  • तारीख: 9 नवंबर 2024
  • यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है, जब व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसे उषा अर्घ्य कहा जाता है।
  • प्रातःकाल में परिवार के साथ जलाशय के किनारे जाकर व्रती सूर्य की पूजा करते हैं और जल, दूध और फूल अर्पित करते हैं।
  • अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है और व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत समाप्त करते हैं।

छठ पूजा के प्रमुख प्रसाद

छठ पूजा के प्रसाद में ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, नारियल और विभिन्न प्रकार के फलों का प्रयोग होता है। ये प्रसाद घर के शुद्ध वातावरण में बनाए जाते हैं और पूरी श्रद्धा से सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।

छठ पूजा के दौरान सावधानियां

  • व्रती विशेष रूप से पवित्रता और स्वच्छता का ध्यान रखते हैं।
  • छठ पूजा के दौरान किसी प्रकार की अशुद्धि, मांसाहार या नशे का सेवन वर्जित होता है।
  • प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी या पीतल के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है और प्रसाद बनाते समय व्रती संयम और नियम का पालन करते हैं।

छठ पूजा की विधि पूरी तरह से समर्पण, संयम और श्रद्धा पर आधारित है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मइया की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है।


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