देवी कात्यायनी माँ दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। वे देवी पार्वती का योद्धा रूप हैं, जो महिषासुर जैसे दानवों का नाश करने के लिए प्रकट हुई थीं। उनका यह रूप शक्ति, साहस, और विजय का प्रतीक है। देवी कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है, और उनकी आराधना से भक्तों को भय, दुख, और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
उत्पत्ति और पौराणिक कथा
- महिषासुर के अत्याचारों से देवता और ऋषि त्रस्त हो गए। उनकी प्रार्थना पर देवी पार्वती ने कात्यायनी रूप धारण किया।
- पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि कात्यायन ने कठोर तपस्या की थी और माँ दुर्गा से उनके घर पुत्री रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की।
- देवी पार्वती ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
- महिषासुर के वध के बाद, देवी कात्यायनी को दानवघातिनी और योद्धा देवी के रूप में पूजित किया गया।
नवरात्रि पूजा में महत्त्व
देवी कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। उनकी आराधना से भक्तों को साहस, शक्ति, और भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद मिलता है। उनकी पूजा विशेष रूप से विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने और इच्छित वर की प्राप्ति के लिए की जाती है।
स्वरूप वर्णन
देवी कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है।
- वाहन: देवी सिंह पर आरूढ़ हैं।
- चतुर्भुजा:
- बायें हाथ: कमल पुष्प और तलवार।
- दाहिने हाथ: वरद मुद्रा और अभय मुद्रा।
- वेशभूषा: देवी स्वर्णिम आभा और दिव्यता से युक्त हैं।
- त्रिनेत्र: उनके तीन नेत्र उनकी दिव्यता और त्रिकालदर्शी क्षमता का प्रतीक हैं।
- मस्तक: उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है।
शासनाधीन ग्रह
देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को शासित करती हैं।
- बृहस्पति ग्रह बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और समृद्धि का कारक है।
- उनकी पूजा से बृहस्पति ग्रह के दोष दूर होते हैं और शिक्षा, विवाह, तथा परिवार में शांति आती है।
प्रिय पुष्प और भोग
- प्रिय पुष्प: देवी को लाल रंग के पुष्प, विशेष रूप से गुलाब के फूल, अत्यंत प्रिय हैं।
- भोग: देवी को शहद का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पूजा विधि (नवरात्रि के छठे दिन)
- स्नान और ध्यान: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- कलश स्थापना: कलश को गंगाजल से भरकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- मंत्रोच्चार:
- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
- भोग और पुष्प अर्पण: देवी को शहद और लाल पुष्प चढ़ाएं।
- आरती और ध्यान: देवी की आरती गाकर उनका ध्यान करें।
मंत्र और स्तुति
- मूल मंत्र:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः। - प्रार्थना:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ - स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान (ध्यान श्लोक)
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
कवच (Kavach)
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥
आरती (Aarti)
जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रन्थि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिये। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भण्डारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
महत्त्व और साधना
देवी कात्यायनी का संबंध आज्ञा चक्र से है। उनकी साधना से आज्ञा चक्र का जागरण होता है, जो ज्ञान और आत्मज्ञान प्रदान करता है। उनकी पूजा से भक्तों को विजय, साहस, और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
देवी कात्यायनी शक्ति और विजय की देवी हैं। उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वे भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करती हैं और भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
जय माँ कात्यायनी!
देवी कात्यायनी से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: देवी कात्यायनी कौन हैं?
उत्तर:
देवी कात्यायनी माँ दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। उन्हें महिषासुर के वध के लिए योद्धा देवी के रूप में जाना जाता है। वह ऋषि कात्यायन के घर में जन्मी थीं, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा।
प्रश्न 2: देवी कात्यायनी की पूजा कब की जाती है?
उत्तर:
देवी कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है।
प्रश्न 3: देवी कात्यायनी का स्वरूप कैसा है?
उत्तर:
- वर्ण: देवी का स्वरूप स्वर्णिम आभा से युक्त है।
- वाहन: देवी सिंह पर सवार हैं।
- चतुर्भुजा:
- दाहिने हाथ: वरद मुद्रा और अभय मुद्रा।
- बायें हाथ: तलवार और कमल पुष्प।
प्रश्न 4: देवी कात्यायनी का मंत्र क्या है?
उत्तर:
देवी कात्यायनी का मंत्र है:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
प्रश्न 5: देवी कात्यायनी को कौन-से पुष्प और भोग प्रिय हैं?
उत्तर:
- प्रिय पुष्प: देवी को लाल रंग के पुष्प, विशेष रूप से गुलाब, अत्यंत प्रिय हैं।
- प्रिय भोग: देवी को शहद का भोग अर्पित किया जाता है।
प्रश्न 6: देवी कात्यायनी किस ग्रह को नियंत्रित करती हैं?
उत्तर:
देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को शासित करती हैं। उनकी पूजा से बृहस्पति के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं।
प्रश्न 7: देवी कात्यायनी की पूजा का क्या लाभ है?
उत्तर:
- भय और शत्रुओं से मुक्ति।
- इच्छित वर की प्राप्ति।
- विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार।
प्रश्न 8: देवी कात्यायनी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
देवी कात्यायनी को दानवघातिनी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने महिषासुर का वध करके देवताओं की रक्षा की थी।
प्रश्न 9: देवी कात्यायनी की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर:
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
- देवी के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- देवी को शहद और लाल पुष्प अर्पित करें।
- उनकी आरती गाएं।
प्रश्न 10: क्या देवी कात्यायनी की पूजा विवाह के लिए शुभ मानी जाती है?
उत्तर:
हाँ, देवी कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने और इच्छित वर या वधू की प्राप्ति के लिए की जाती है।
प्रश्न 11: देवी कात्यायनी का संबंध योग और साधना से क्या है?
उत्तर:
देवी कात्यायनी का संबंध आज्ञा चक्र से है। उनकी साधना से यह चक्र जागृत होता है, जो ज्ञान, बुद्धि, और आत्मिक ऊर्जा को विकसित करता है।