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Maa Mahagauri: नवरात्रि की अष्टम देवी

देवी महागौरी माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। उनका यह रूप पवित्रता, शांति, और ज्ञान का प्रतीक है। उनकी आराधना नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है, जिसे दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं। देवी महागौरी को उनके अत्यधिक गोरे और श्वेत स्वरूप के कारण यह नाम दिया गया।


उत्पत्ति और पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शैलपुत्री सोलह वर्ष की आयु में अत्यंत सुंदर और गौर वर्ण की थीं।

  1. उनके गौर वर्ण की तुलना शंख, चंद्रमा, और कुंद के पुष्पों से की जाती है।
  2. कठोर तपस्या के बाद उन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया।
  3. तपस्या के कारण उनका शरीर काला पड़ गया था, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे उनका स्वरूप अत्यंत गोरा हो गया।
  4. इस गौर वर्ण के कारण उन्हें महागौरी कहा गया।

नवरात्रि पूजा में महत्त्व

देवी महागौरी की पूजा नवरात्रि के अष्टम दिवस पर की जाती है।

  • उनकी पूजा से मन की अशुद्धता समाप्त होती है।
  • भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • यह दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और संधि पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।

स्वरूप वर्णन

देवी महागौरी का स्वरूप अत्यंत शांत, सुंदर, और दिव्य है।

  • वर्ण: देवी का रंग अत्यंत गोरा और चमकदार है।
  • वाहन: उनका वाहन बैल है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
  • चतुर्भुजा:
    • दाहिने हाथ:
      • एक में त्रिशूल।
      • दूसरा अभय मुद्रा में।
    • बाएं हाथ:
      • एक में डमरू।
      • दूसरा वर मुद्रा में।
  • वेशभूषा: देवी केवल सफेद वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है।

शासनाधीन ग्रह

देवी महागौरी राहु ग्रह को शासित करती हैं।

  • उनकी पूजा से राहु ग्रह के दोष समाप्त होते हैं।
  • राहु से संबंधित मानसिक और भौतिक कष्टों का निवारण होता है।

प्रिय पुष्प और भोग

  • प्रिय पुष्प: देवी को “रात की रानी” के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • भोग: देवी को नारियल और मिश्री का भोग अर्पित किया जाता है।

पूजा विधि (नवरात्रि के अष्टम दिन)

  1. स्नान और ध्यान: प्रातःकाल स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें।
  2. कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करके उसमें गंगाजल भरें।
  3. मंत्रोच्चार:
    • ॐ देवी महागौर्यै नमः।
  4. भोग और पुष्प अर्पण: देवी को नारियल, मिश्री, और सफेद पुष्प अर्पित करें।
  5. आरती और ध्यान: देवी की आरती गाकर उनका ध्यान करें।

मंत्र और स्तुति

  • मूल मंत्र:
    ॐ देवी महागौर्यै नमः।
  • प्रार्थना:
    श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
    महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
  • स्तुति:
    या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान (ध्यान श्लोक)

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।


कवच (Kavach)

ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥


आरती (Aarti)

जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥


महत्त्व और साधना

  • देवी महागौरी का संबंध सहस्रार चक्र से है।
  • उनकी साधना से सहस्रार चक्र जागृत होता है, जो आत्मज्ञान और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • उनकी पूजा से मन की अशुद्धियों का नाश होता है और भक्त को पवित्रता का अनुभव होता है।

सारांश

देवी महागौरी पवित्रता, शांति, और ज्ञान की देवी हैं। उनकी पूजा से राहु ग्रह के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जय माँ महागौरी!

देवी महागौरी से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: देवी महागौरी कौन हैं?
उत्तर:
देवी महागौरी माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। उनकी पहचान उनके अत्यंत गौर और श्वेत स्वरूप से होती है। कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के कारण उन्हें महागौरी कहा गया।


प्रश्न 2: देवी महागौरी की पूजा कब की जाती है?
उत्तर:
देवी महागौरी की पूजा नवरात्रि के अष्टम दिवस पर की जाती है, जिसे दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है।


प्रश्न 3: देवी महागौरी की पूजा का क्या महत्व है?
उत्तर:
देवी महागौरी की पूजा से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं और शांति, सुख, तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना राहु ग्रह के दोषों को समाप्त करती है।


प्रश्न 4: देवी महागौरी का स्वरूप क्या है?
उत्तर:
देवी महागौरी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और बैल पर सवार होती हैं। उनके चार हाथ हैं—

  • एक दाहिने हाथ में त्रिशूल।
  • दूसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा में।
  • एक बायें हाथ में डमरू।
  • दूसरा बायां हाथ वर मुद्रा में।

प्रश्न 5: देवी महागौरी का मंत्र क्या है?
उत्तर:
देवी महागौरी का मंत्र है:
ॐ देवी महागौर्यै नमः।


प्रश्न 6: देवी महागौरी को कौन-से पुष्प और भोग प्रिय हैं?
उत्तर:

  • प्रिय पुष्प: देवी को “रात की रानी” के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • प्रिय भोग: देवी को नारियल और मिश्री का भोग लगाया जाता है।

प्रश्न 7: देवी महागौरी की पूजा से कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तर:

  • मन और आत्मा की शुद्धि।
  • राहु ग्रह के दोषों का निवारण।
  • सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति।
  • परिवार में सौहार्द और सकारात्मकता का संचार।

प्रश्न 8: क्या देवी महागौरी की पूजा कन्या पूजन के लिए उपयुक्त है?
उत्तर:
जी हाँ, अष्टमी का दिन कन्या पूजन और संधि पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराने से देवी महागौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।


प्रश्न 9: देवी महागौरी का अन्य नाम क्या है?
उत्तर:
देवी महागौरी को श्वेताम्बरधरा और वृषारूढ़ा भी कहा जाता है, क्योंकि वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और बैल पर सवार होती हैं।


प्रश्न 10: देवी महागौरी की पूजा का प्रभाव क्या है?
उत्तर:
उनकी पूजा से जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं। देवी अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनके कष्टों का निवारण करती हैं और उन्हें सुखमय जीवन प्रदान करती हैं।

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