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गजाननं भूत गणादि सेवितं गणेश मंत्र Gajananam Bhoota Ganadhi Sevitam

Gajananam Bhoota Ganadhi Sevitam

गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

मंत्र का मूल रूप:
गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥

Gajananam Bhoota Ganadhi Sevitam Lyrics

गजाननं भूत गणादि सेवितं
अर्थ: गजानन, जिनकी सेवा भूत-गण (भगवान गणेश के सेवक) करते हैं।
लाभ: इस पंक्ति से यह स्पष्ट होता है कि भगवान गणेश सब भूत-गणों के स्वामी हैं और सभी देवताओं व सेवकों द्वारा पूजित हैं। यह हमें आत्म-समर्पण और सेवा का महत्व सिखाता है।

कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्
अर्थ: जो कपित्थ (लकुच) और जम्बू (जामुन) फल को भोजन रूप में ग्रहण करते हैं।
लाभ: भगवान गणेश प्रकृति और सरलता का प्रतीक हैं। यह पंक्ति हमें सिखाती है कि साधारण जीवन और प्राकृतिक वस्तुओं से संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्
अर्थ: जो पार्वती (उमा) के पुत्र हैं और जो शोक का नाश करने वाले हैं।
लाभ: भगवान गणेश संकट और शोक को समाप्त करने वाले हैं। यह हमें उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने की प्रेरणा देता है।

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्
अर्थ: मैं विघ्नों के स्वामी (विघ्नेश्वर) के चरण कमलों को नमन करता हूँ।
लाभ: इस पंक्ति से यह सन्देश मिलता है कि भगवान गणेश के चरणों की आराधना से सभी विघ्न और बाधाएँ दूर हो जाती हैं। यह हमें उनकी शरण में जाने का संदेश देता है।

कुल मिलाकर, यह श्लोक भगवान गणेश की आराधना के माध्यम से जीवन के शोक, विघ्न और बाधाओं से मुक्ति दिलाने का संदेश देता है।


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