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शांति मंत्र – अर्थ, महत्व और विस्तृत व्याख्या | Shanti Mantra in Hindi

शांति मंत्र (Shanti Mantra)

ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

हिंदी अर्थ:  Navgrah Shanti Mantra in Hindi

  • ॐ द्यौः शान्तिः (Om Dyauh Shantih):
    आकाश में शांति हो।
  • अन्तरिक्षं शान्तिः (Antariksham Shantih):
    अंतरिक्ष में शांति हो।
  • पृथिवी शान्तिः (Prithivi Shantih):
    पृथ्वी पर शांति हो।
  • आपः शान्तिः (Apah Shantih):
    जल में शांति हो।
  • ओषधयः शान्तिः (Oshadhayah Shantih):
    औषधियों (वनस्पतियों) में शांति हो।
  • वनस्पतयः शान्तिः (Vanaspatayah Shantih):
    वृक्षों में शांति हो।
  • विश्वेदेवाः शान्तिः (Vishve Devah Shantih):
    सभी देवताओं में शांति हो।
  • ब्रह्म शान्तिः (Brahma Shantih):
    ब्रह्म में शांति हो।
  • सर्वं शान्तिः (Sarvam Shantih):
    संपूर्ण सृष्टि में शांति हो।
  • शान्तिरेव शान्तिः (Shantireva Shantih):
    शांति में ही शांति हो।
  • सा मा शान्तिरेधि (Sa Ma Shantir Edhi):
    वह शांति मेरे भीतर भी समाहित हो।
  • ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः (Om Shantih Shantih Shantih):
    ॐ, तीन बार शांति की प्रार्थना।

विस्तृत अर्थ:

यह शांति मंत्र वैदिक संस्कृति का एक प्रमुख मंत्र है, जिसका उद्देश्य चारों ओर शांति और समृद्धि की कामना करना है। इस मंत्र में, ब्रह्मांड के विभिन्न स्तरों – आकाश, अंतरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, औषधियां, देवता, और ब्रह्म – में शांति की प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र यह बताता है कि जब ब्रह्मांड के प्रत्येक तत्व में शांति होगी, तब ही हम सच्चे अर्थों में शांति का अनुभव कर सकेंगे।

  • व्यक्तिगत शांति: शांति मंत्र का अंतिम भाग “शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि” यह कहता है कि बाहरी शांति के साथ-साथ हमारे भीतर भी शांति होनी चाहिए। बाहरी और आंतरिक शांति का संतुलन ही सच्ची शांति का आधार है।
  • तीन बार “शांति”: शांति मंत्र में “ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः” को तीन बार दोहराया जाता है। इसका उद्देश्य तीन प्रकार के कष्टों (आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक) से मुक्ति की कामना करना है।

आध्यात्मिक संदेश:

  • यह मंत्र यह दर्शाता है कि शांति केवल एक व्यक्ति या स्थान की नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की सामूहिक स्थिति होनी चाहिए।
  • शांति का अनुभव तभी किया जा सकता है जब हमारी आत्मा, मन, और शरीर शांत हों, और जब हम पर्यावरण, समाज, और ब्रह्मांड के साथ समरसता में हों।

शांति मंत्र न केवल व्यक्तिगत शांति की प्रार्थना करता है, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि में सामूहिक शांति और सामंजस्य की कामना भी करता है।


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