श्री विष्णु के मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र माने जाते हैं। इन मंत्रों का जाप भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में शांति, समृद्धि और संरक्षण के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख विष्णु मंत्र हैं:
1. ओम नमो भगवते वासुदेवाय
- यह भगवान विष्णु का सबसे प्रसिद्ध और सरल मंत्र है। इसे जीवन में शांति, भक्ति, और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए जपते हैं।
- मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
- अर्थ: मैं भगवान वासुदेव (विष्णु) को नमस्कार करता हूँ।
2. विष्णु गायत्री मंत्र
- यह मंत्र भगवान विष्णु की महिमा का बखान करता है और ध्यान के दौरान शांति और भक्ति को बढ़ाता है।
- मंत्र:
- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्॥
- अर्थ: हम नारायण के बारे में ध्यान करते हैं और वासुदेव का ध्यान करते हैं। विष्णु हमें प्रबुद्ध करें।
3. श्री विष्णु अष्टकशर मंत्र
- यह मंत्र विशेष रूप से भगवान विष्णु के आशीर्वाद के लिए महत्वपूर्ण है।
- मंत्र: ॐ विष्णवे नमः।
- अर्थ: भगवान विष्णु को नमस्कार।
4. विष्णु शांति मंत्र
- यह मंत्र शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए जपा जाता है।
- मंत्र: ॐ शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
- अर्थ: मैं उस भगवान विष्णु को नमन करता हूँ, जो शांत स्वरूप वाले हैं, शेषनाग पर सोए हुए हैं, जिनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है, जो समस्त ब्रह्मांड के आधार हैं, और जो सारे लोकों के स्वामी हैं।
5. भगवान विष्णु का द्वादश नाम मंत्र
- इस मंत्र का जप भगवान विष्णु के 12 पवित्र नामों का स्मरण करते हुए किया जाता है।
- मंत्र: ॐ केशवाय नमः, नारायणाय नमः, माधवाय नमः, गोविंदाय नमः, विष्णवे नमः,
मधुसूदनाय नमः, त्रिविक्रमाय नमः, वामनाय नमः, श्रीधराय नमः,
हृषीकेशाय नमः, पद्मनाभाय नमः, दामोदराय नमः।
श्लोक: मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरीकाक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
अर्थ:
- मङ्गलम् भगवान विष्णुः: भगवान विष्णु हमारे लिए मंगलकारी हों।
- मङ्गलम् गरुणध्वजः: जिनका वाहन गरुड़ है, वे शुभ प्रदान करें।
- मङ्गलम् पुण्डरीकाक्षः: जिनके नेत्र कमल के समान हैं, वे कल्याणकारी हों।
- मङ्गलाय तनो हरिः: भगवान हरि (विष्णु) का शरीर समस्त कल्याण का प्रतीक है।
यह श्लोक भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करता है।
“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु” मंत्र, जिसे गुरु मंत्र या गुरु स्तोत्र के नाम से जाना जाता है, गुरु की महिमा और उसकी भूमिका को दर्शाता है। इस मंत्र के माध्यम से गुरु को त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के समकक्ष माना गया है। यह श्लोक गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए जपा जाता है।
Guru Brahma Guru Vishnu Mantra
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अर्थ:
- गुरुर्ब्रह्मा: गुरु ब्रह्मा के समान हैं, जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं और हमारे जीवन की सृजन करते हैं।
- गुरुर्विष्णुः: गुरु विष्णु के समान हैं, जो हमें जीवन में सही मार्ग दिखाते हैं और हमारा पालन करते हैं।
- गुरुर्देवो महेश्वरः: गुरु महेश्वर (शिव) के समान हैं, जो हमारे अज्ञान का विनाश करते हैं।
- गुरुः साक्षात् परब्रह्म: गुरु साक्षात् परब्रह्म (सर्वोच्च सत्य) के समान हैं।
- तस्मै श्रीगुरवे नमः: ऐसे गुरु को मेरा नमन और वंदन।
भावार्थ:
यह श्लोक गुरु की महिमा को सर्वोच्च स्थान देता है, जहाँ गुरु को ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता), विष्णु (पालनकर्ता), और शिव (विनाशकर्ता) के रूप में देखा जाता है। गुरु को परब्रह्म का साक्षात् रूप मानकर उन्हें प्रणाम किया जाता है, क्योंकि गुरु ही वह हैं जो हमें आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
गुरु की महत्ता इस श्लोक के माध्यम से व्यक्त की गई है, जो हमें सिखाता है कि गुरु का स्थान सर्वोपरि है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान से हमें आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है।