Annaprashan Muhurat 2025 Dates & Timings
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Sanskar) हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है, जो शिशु के जीवन में ठोस भोजन की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस संस्कार में बच्चे को पहली बार ठोस भोजन (ज्यादातर खीर) खिलाया जाता है, और इसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है ताकि शिशु का जीवन स्वस्थ, समृद्ध और सफल हो। 2025 में अन्नप्राशन के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। आइए, जानते हैं इन मुहूर्तों की जानकारी विस्तार से।
अन्नप्राशन के शुभ मुहूर्त 2025: महीना अनुसार विवरण
January 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 01 जनवरी 2025, बुधवार: सुबह 07:50 से 10:20 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 01 जनवरी 2025, बुधवार: सुबह 11:55 से शाम 04:40 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 01 जनवरी 2025, बुधवार: शाम 07:05 से रात 11:30 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 02 जनवरी 2025, गुरुवार: सुबह 07:50 से 10:15 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 02 जनवरी 2025, गुरुवार: सुबह 11:49 से शाम 04:40 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 02 जनवरी 2025, गुरुवार: शाम 06:59 से रात 11:30 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 06 जनवरी 2025, सोमवार: सुबह 08:25 से दोपहर 12:50 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
- 08 जनवरी 2025, बुधवार: शाम 04:20 से शाम 06:30 तक, नक्षत्र: भरणी
- 13 जनवरी 2025, सोमवार: रात 08:35 से रात 10:50 तक, नक्षत्र: आर्द्रा
- 15 जनवरी 2025, बुधवार: सुबह 07:55 से दोपहर 12:15 तक, नक्षत्र: पुष्य
- 30 जनवरी 2025, गुरुवार: शाम 05:10 से रात 10:30 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 31 जनवरी 2025, शुक्रवार: सुबह 07:45 से सुबह 09:50 तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
- 31 जनवरी 2025, शुक्रवार: सुबह 11:20 से शाम 05:00 तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
- 31 जनवरी 2025, शुक्रवार: शाम 07:25 से रात 11:55 तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
February 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 07 फरवरी 2025, शुक्रवार: सुबह 07:40 से 07:50 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 07 फरवरी 2025, शुक्रवार: सुबह 09:20 से दोपहर 02:18 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 07 फरवरी 2025, शुक्रवार: शाम 04:40 से रात 11:25 तक, नक्षत्र: रोहिणी, मृगशीर्ष
- 10 फरवरी 2025, सोमवार: सुबह 07:40 से सुबह 09:10 तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
- 10 फरवरी 2025, सोमवार: सुबह 10:40 से शाम 06:40 तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
- 17 फरवरी 2025, सोमवार: सुबह 08:40 से दोपहर 01:40 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 17 फरवरी 2025, सोमवार: दोपहर 03:59 से रात 10:40 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 26 फरवरी 2025, बुधवार: सुबह 08:15 से दोपहर 01:00 तक, नक्षत्र: श्रवण, धनिष्ठा
March 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 03 मार्च 2025, सोमवार: रात 09:59 से 12:05 तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 06 मार्च 2025, गुरुवार: सुबह 07:40 से दोपहर 12:30 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 24 मार्च 2025, सोमवार: सुबह 06:55 से सुबह 09:25 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 24 मार्च 2025, सोमवार: दोपहर 01:40 से शाम 06:10 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 27 मार्च 2025, गुरुवार: सुबह 07:45 से दोपहर 01:30 तक, नक्षत्र: शतभिषा
- 27 मार्च 2025, गुरुवार: दोपहर 03:50 से रात 10:30 तक, नक्षत्र: शतभिषा
- 31 मार्च 2025, सोमवार: सुबह 07:30 से सुबह 09:00 तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 31 मार्च 2025, सोमवार: सुबह 10:59 से दोपहर 03:25 तक, नक्षत्र: अश्विनी, भरणी
April 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 02 अप्रैल 2025, बुधवार: दोपहर 01:05 से शाम 07:50 तक, नक्षत्र: कृत्तिका
- 10 अप्रैल 2025, गुरुवार: दोपहर 02:55 से शाम 05:00 तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
- 10 अप्रैल 2025, गुरुवार: शाम 07:35 से रात 01:25 तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
- 14 अप्रैल 2025, सोमवार: सुबह 10:05 से दोपहर 12:10 तक, नक्षत्र: स्वाति
- 14 अप्रैल 2025, सोमवार: दोपहर 02:46 से रात 11:25 तक, नक्षत्र: विशाखा
- 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार: शाम 04:20 से रात 10:20 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
- 30 अप्रैल 2025, बुधवार: सुबह 07:10 से सुबह 08:45 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 30 अप्रैल 2025, बुधवार: सुबह 11:20 से दोपहर 03:40 तक, नक्षत्र: रोहिणी
May 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 01 मई 2025, गुरुवार: दोपहर 01:35 से अपराह्न 03:40 तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष, आर्द्रा
- 09 मई 2025, शुक्रवार: शाम 07:55 से रात 10:00 तक, नक्षत्र: हस्त
- 14 मई 2025, बुधवार: सुबह 07:05 से दोपहर 12:30 तक, नक्षत्र: अनुराधा
- 19 मई 2025, सोमवार: शाम 07:15 से रात 11:30 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 28 मई 2025, बुधवार: सुबह 09:28 से शाम 06:30 तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष
- 28 मई 2025, बुधवार: रात 08:59 से रात 10:50 तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष
June 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 05 जून 2025, गुरुवार: सुबह 08:55 से दोपहर 03:40 तक, नक्षत्र: हस्त
- 05 जून 2025, गुरुवार: शाम 06:10 से रात 10:35 तक, नक्षत्र: हस्त
- 16 जून 2025, सोमवार: सुबह 08:08 से शाम 05:20 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 20 जून 2025, शुक्रवार: दोपहर 12:39 से शाम 07:20 तक, नक्षत्र: रेवती
- 23 जून 2025, सोमवार: शाम 04:58 से रात 10:35 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 26 जून 2025, गुरुवार: दोपहर 02:28 से शाम 04:40 तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
- 26 जून 2025, गुरुवार: शाम 07:06 से रात 10:40 तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
- 27 जून 2025, शुक्रवार: सुबह 07:29 से सुबह 09:40 तक, नक्षत्र: पुष्य
- 27 जून 2025, शुक्रवार: दोपहर 12:09 से शाम 06:50 तक, नक्षत्र: पुष्य
- 27 जून 2025, शुक्रवार: रात 09:07 से रात 10:40 तक, नक्षत्र: पुष्य
July 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 02 जुलाई 2025, बुधवार: सुबह 07:10 से दोपहर 01:55 तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
- 04 जुलाई 2025, शुक्रवार: शाम 06:35 से रात 10:10 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 17 जुलाई 2025, गुरुवार: सुबह 10:48 से शाम 05:35 तक, नक्षत्र: रेवती
- 31 जुलाई 2025, गुरुवार: सुबह 07:38 से दोपहर 02:20 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 31 जुलाई 2025, गुरुवार: शाम 04:40 से रात 09:50 तक, नक्षत्र: चित्रा
August 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 04 अगस्त 2025, सोमवार: सुबह 09:39 से सुबह 11:40 तक, नक्षत्र: ज्येष्ठा
- 11 अगस्त 2025, सोमवार: सुबह 06:49 से दोपहर 01:40 तक, नक्षत्र: शतभिषा
- 13 अगस्त 2025, बुधवार: सुबह 08:59 से अपराह्न 03:50 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 13 अगस्त 2025, बुधवार: शाम 05:59 से रात 10:25 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 20 अगस्त 2025, मंगलवार: दोपहर 03:30 से रात 10:00 तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
- 21 अगस्त 2025, बुधवार: सुबह 08:30 से दोपहर 03:15 तक, नक्षत्र: पुष्य
- 25 अगस्त 2025, रविवार: सुबह 06:29 से सुबह 08:05 तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
- 25 अगस्त 2025, रविवार: दोपहर 12:49 से शाम 06:45 तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
- 25 अगस्त 2025, रविवार: रात 08:19 से रात 11:10 तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
- 27 अगस्त 2025, मंगलवार: शाम 05:05 से शाम 06:40 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 27 अगस्त 2025, मंगलवार: रात 09:40 से रात 11:05 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 28 अगस्त 2025, बुधवार: सुबह 06:29 से दोपहर 12:30 तक, नक्षत्र: चित्रा, स्वाति
- 28 अगस्त 2025, बुधवार: दोपहर 02:59 से शाम 06:35 तक, नक्षत्र: स्वाति
September 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 05 सितंबर 2025, शुक्रवार: सुबह 07:29 से सुबह 09:40 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 05 सितंबर 2025, शुक्रवार: दोपहर 12:09 से शाम 06:10 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 05 सितंबर 2025, शुक्रवार: शाम 07:39 से रात 10:35 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 24 सितंबर 2025, बुधवार: सुबह 06:45 से सुबह 10:40 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 24 सितंबर 2025, बुधवार: दोपहर 01:09 से शाम 06:18 तक, नक्षत्र: चित्रा, स्वाति
- 24 सितंबर 2025, बुधवार: शाम 07:49 से रात 11:12 तक, नक्षत्र: स्वाति
October 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 01 अक्टूबर 2025, बुधवार: रात 08:56 से रात 10:49 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार: सुबह 07:42 से सुबह 07:57 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार: सुबह 10:16 से शाम 04:21 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार: शाम 05:49 से रात 08:49 तक, नक्षत्र: श्रवण
- 08 अक्टूबर 2025, बुधवार: सुबह 07:36 से 02:19 तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 08 अक्टूबर 2025, बुधवार: दोपहर 03:58 से रात 08:22 तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: रात 08:19 से रात 10:10 तक, नक्षत्र: कृत्तिका
- 22 अक्टूबर 2025, बुधवार: रात 09:28 से रात 11:38 तक, नक्षत्र: स्वाति
- 24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: सुबह 07:16 से सुबह 11:02 तक, नक्षत्र: अनुराधा
- 24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: दोपहर 01:17 से शाम 05:40 तक, नक्षत्र: अनुराधा
- 24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: शाम 07:25 से रात 11:30 तक, नक्षत्र: अनुराधा
- 29 अक्टूबर 2025, मंगलवार: सुबह 08:32 से सुबह 10:44 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 31 अक्टूबर 2025, गुरुवार: सुबह 10:45 से दोपहर 03:50 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 31 अक्टूबर 2025, गुरुवार: शाम 05:25 से रात 10:12 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा, शतभिषा
Novebmber 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 03 नवंबर 2025, सोमवार: सुबह 07:08 से सुबह 10:24 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
- 03 नवंबर 2025, सोमवार: दोपहर 12:39 से शाम 05:00 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 03 नवंबर 2025, सोमवार: शाम 06:46 से रात 10:52 तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 07 नवंबर 2025, शुक्रवार: सुबह 07:59 से दोपहर 02:00 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 07 नवंबर 2025, शुक्रवार: दोपहर 03:27 से रात 08:20 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 17 नवंबर 2025, सोमवार: सुबह 07:19 से दोपहर 01:20 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 17 नवंबर 2025, सोमवार: दोपहर 02:49 से रात 09:55 तक, नक्षत्र: चित्रा
- 27 नवंबर 2025, गुरुवार: सुबह 07:27 से दोपहर 12:41 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 27 नवंबर 2025, गुरुवार: दोपहर 02:09 से रात 09:19 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
December 2025 Annaprashan Shubh Muhurat
- 04 दिसंबर 2025, गुरुवार: रात 08:56 से रात 11:11 तक, नक्षत्र: रोहिणी
- 08 दिसंबर 2025, सोमवार: शाम 06:27 से रात 10:52 तक, नक्षत्र: पुष्य
- 17 दिसंबर 2025, बुधवार: शाम 05:49 से रात 10:21 तक, नक्षत्र: अनुराधा
- 22 दिसंबर 2025, रविवार: सुबह 07:45 से सुबह 09:21 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 22 दिसंबर 2025, रविवार: दोपहर 12:32 से शाम 05:22 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 22 दिसंबर 2025, रविवार: शाम 07:46 से सुबह 12:00 तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
- 24 दिसंबर 2025, मंगलवार: दोपहर 01:49 से शाम 05:12 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 24 दिसंबर 2025, मंगलवार: शाम 07:36 से रात 12:02 तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 25 दिसंबर 2025, बुधवार: सुबह 07:47 से दोपहर 12:12 तक, नक्षत्र: शतभिषा
- 25 दिसंबर 2025, बुधवार: दोपहर 01:46 से दोपहर 03:15 तक, नक्षत्र: शतभिषा
- 29 दिसंबर 2025, रविवार: दोपहर 12:06 से दोपहर 03:01 तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 29 दिसंबर 2025, रविवार: शाम 04:59 से रात 11:50 तक, नक्षत्र: अश्विनी, भरणी
अन्नप्राशन संस्कार का महत्व: अन्नप्राशन संस्कार न केवल शिशु के जीवन की शुभ शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह संस्कार शिशु के स्वास्थ्य, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद देने का एक अवसर भी है। इस संस्कार को सही विधि और शुभ मुहूर्त में करने से शिशु का जीवन मंगलमय होता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2025: जानें 2025 में अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Sanskar) हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण सोलह संस्कारों में से एक है, जिसमें नवजात शिशु को पहली बार ठोस भोजन दिया जाता है। यह संस्कार शिशु के जीवन में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि इसके बाद वह केवल मां के दूध पर निर्भर नहीं रहता। अन्नप्राशन का अर्थ है “अन्न की शुरुआत,” और यह संस्कार शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस संस्कार का आयोजन बच्चे के छठे महीने से लेकर एक साल की आयु तक किया जाता है, और इसे शुभ मुहूर्त में संपन्न करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। 2025 में, अन्नप्राशन के लिए कई शुभ तिथियां और मुहूर्त पंचांग में दिए गए हैं। आइए इन शुभ तिथियों पर विस्तार से नजर डालते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार का महत्व
अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जीवन में एक नई शुरुआत का संकेत देता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह संस्कार शिशु के अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना के साथ किया जाता है। इस संस्कार में शिशु को पहली बार ठोस भोजन (मुख्यतः खीर) खिलाई जाती है। खीर, क्योंकि यह दूध और चावल का मिश्रण होता है, जिसे पौष्टिक और आसानी से पचने वाला भोजन माना जाता है।
इसके पीछे यह मान्यता है कि अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के शारीरिक विकास को सही दिशा में बढ़ाने का प्रतीक होता है, और इसके माध्यम से भगवान से शिशु के उज्ज्वल भविष्य की कामना की जाती है। यह संस्कार परिवार के बुजुर्गों के आशीर्वाद से और भी महत्वपूर्ण बनता है।
अन्नप्राशन संस्कार की विधि
अन्नप्राशन संस्कार के लिए पहले एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है, जिसे पंचांग के अनुसार ज्योतिषी द्वारा निकाला जाता है। संस्कार की शुरुआत शुद्धिकरण और पूजा से होती है। पूजा स्थल पर भगवान गणेश और देवी अन्नपूर्णा का आह्वान कर उन्हें भोग चढ़ाया जाता है। फिर शिशु को पहली बार खीर खिलाई जाती है। खीर खिलाने की यह प्रक्रिया सबसे पहले पंडित जी द्वारा शुरू की जाती है, इसके बाद माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य शिशु को खीर खिलाते हैं।
इस संस्कार के दौरान कुछ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो इस पवित्र अनुष्ठान को और भी शुभ बनाते हैं। इन मंत्रों में प्रमुख मंत्र हैं:
- ओम अन्नपूर्णायै नमः – यह मंत्र देवी अन्नपूर्णा का आह्वान करता है, जिससे शिशु को पोषण और समृद्धि मिलती है।
- ओम त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् – यह महामृत्युंजय मंत्र शिशु के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए जपा जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार से जुड़ी एक खास परंपरा
अन्नप्राशन के बाद एक खास रस्म की जाती है, जिसमें शिशु के सामने कई वस्तुएं रखी जाती हैं, जैसे किताबें, आभूषण, मिट्टी, कलम आदि। जो वस्तु शिशु चुनता है, उसे उसके भविष्य के रुझानों का संकेत माना जाता है। इस रस्म को भविष्य के संकेतों की दिशा में शिशु की स्वाभाविक रुचि को देखने के लिए किया जाता है। अगर शिशु किताब चुनता है, तो इसे शिक्षा और ज्ञान की दिशा में उसका रुझान माना जाता है, आभूषण चुनने पर समृद्धि का संकेत मिलता है, और कलम चुनने से बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता की ओर इशारा होता है।
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