Griha Pravesh Muhurat 2025 -गृह प्रवेश मुहूर्त 2025

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Griha Pravesh Muhurat 2025: गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त, नक्षत्र व तिथि

क्या आप 2025 में अपने नए सपनों का घर खरीदने की सोच रहे हैं? अगर हां, तो सही समय और शुभ मुहूर्त पर नए घर में प्रवेश करने से न केवल घर में समृद्धि और खुशहाली आती है, बल्कि घर की सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है। हिन्दू धर्म में गृह प्रवेश को एक महत्वपूर्ण परंपरा माना गया है। सही दिन और शुभ मुहूर्त के अनुसार घर में प्रवेश करने से जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है।

गृह प्रवेश क्या है?

गृह प्रवेश एक परंपरागत हिंदू अनुष्ठान है जो नए घर में प्रवेश के पहले दिन किया जाता है। इस समारोह के दौरान विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है, ताकि घर में शुभता, सकारात्मक ऊर्जा और देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। यह पूजा न केवल घर को सुरक्षित और शुद्ध करती है, बल्कि परिवार के लिए खुशहाली और समृद्धि की कामना भी करती है।

2025 में गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त

2025 में गृह प्रवेश के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। इन मुहूर्तों का चुनाव पंचांग और ज्योतिष के आधार पर किया जाता है। आइए जानते हैं वर्ष 2025 के लिए महत्वपूर्ण तिथियां और समय:

महीना तिथि मुहूर्त (समय)
जनवरी कोई शुभ मुहूर्त नहीं विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
फरवरी 6, 7, 8, 14, 15, 17 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
मार्च 1, 5, 6, 14, 15 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
अप्रैल 30 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
मई 1, 7, 8, 9, 10, 14, 17, 22, 23, 28 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
जून 4, 6 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
जुलाई कोई शुभ मुहूर्त नहीं विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
अगस्त कोई शुभ मुहूर्त नहीं विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
सितंबर कोई शुभ मुहूर्त नहीं विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
अक्टूबर 23, 24, 29 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
नवंबर 3, 6, 7, 8, 14, 15, 24, 29 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है
दिसंबर 1, 5, 6 विस्तृत जानकारी उपरोक्त है

 

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जनवरी 2025 – (January 2025 Griha Pravesh Muhurat)

जनवरी 2025 में गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है, क्योंकि इस महीने ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं मानी गई है।

फरवरी 2025– (February 2025 Griha Pravesh Muhurat)

फरवरी में गृह प्रवेश के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। इस माह में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार, निम्नलिखित तारीखों पर आप गृह प्रवेश कर सकते हैं:

  • 6 फरवरी 2025: रात 10:53 बजे से 7 फरवरी 2025 की सुबह 07:06 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)
  • 7 फरवरी 2025: सुबह 07:06 बजे से 8 फरवरी 2025 की सुबह 07:05 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी, मृगशीर्ष)
  • 8 फरवरी 2025: सुबह 07:05 बजे से शाम 06:07 बजे तक (नक्षत्र: मृगशीर्ष)
  • 14 फरवरी 2025: रात 11:09 बजे से 15 फरवरी 2025 की सुबह 06:59 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)
  • 17 फरवरी 2025: सुबह 06:58 बजे से 18 फरवरी 2025 की सुबह 04:53 बजे तक (नक्षत्र: चित्रा)

मार्च 2025 – (March 2025 Griha Pravesh Muhurat)

मार्च के महीने में गृह प्रवेश के लिए कुछ शुभ मुहूर्त हैं:

  • 1 मार्च 2025: सुबह 11:22 बजे से 2 मार्च 2025 की सुबह 06:45 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद)
  • 5 मार्च 2025: रात 01:08 बजे से 6 मार्च 2025 की सुबह 06:41 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)
  • 6 मार्च 2025: सुबह 06:41 बजे से 10:50 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)
  • 14 मार्च 2025: दोपहर 12:23 बजे से 15 मार्च की सुबह 06:31 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)
  • 15 मार्च 2025: सुबह 06:31 बजे से सुबह 08:54 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)

अप्रैल 2025 – (April 2025 Griha Pravesh Muhurat)

अप्रैल में गृह प्रवेश के लिए केवल एक शुभ मुहूर्त है:

  • 30 अप्रैल 2025: सुबह 05:41 बजे से दोपहर 02:12 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)

मई 2025 – (May 2025 Griha Pravesh Muhurat)

मई में गृह प्रवेश के लिए सबसे अधिक शुभ तिथियां हैं:

  • 1 मई 2025: सुबह 11:23 बजे से दोपहर 02:21 बजे तक (नक्षत्र: मृगशीर्ष)
  • 7 मई 2025: शाम 06:17 बजे से 8 मई 2025 की सुबह 05:35 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)
  • 8 मई 2025: सुबह 05:35 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)
  • 9 मई 2025: रात 12:09 बजे से 10 मई की सुबह 05:33 बजे तक (नक्षत्र: चित्रा)

जून 2025 – (June 2025 Griha Pravesh Muhurat)

जून में उपलब्ध शुभ मुहूर्त:

  • 4 जून 2025: रात 11:54 बजे से 5 जून की सुबह 03:35 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी)
  • 6 जून 2025: सुबह 06:34 बजे से 7 जून की सुबह 04:47 बजे तक (नक्षत्र: चित्रा)

जुलाई से सितंबर 2025

इन महीनों में गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है, क्योंकि इन महीनों में ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती।

अक्टूबर 2025 – (October 2025 Griha Pravesh Muhurat)

अक्टूबर में शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • 23 अक्टूबर 2025: सुबह 04:51 बजे से 24 अक्टूबर की सुबह 06:28 बजे तक (नक्षत्र: अनुराधा)
  • 29 अक्टूबर 2025: सुबह 06:31 बजे से सुबह 09:23 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़)

नवंबर 2025 – (November 2025 Griha Pravesh Muhurat)

नवंबर 2025 में भी गृह प्रवेश के कई शुभ मुहूर्त हैं:

  • 3 नवंबर 2025: सुबह 06:34 बजे से 4 नवंबर की रात 02:05 बजे तक (नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती)
  • 6 नवंबर 2025: रात 03:28 बजे से 7 नवंबर की सुबह 06:37 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)
  • 7 नवंबर 2025: सुबह 06:37 बजे से 8 नवंबर की सुबह 06:38 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी, मृगशीर्ष)

दिसंबर 2025 – (December 2025 Griha Pravesh Muhurat)

साल के अंत में भी कुछ शुभ तिथियां हैं:

  • 1 दिसंबर 2025: सुबह 06:56 बजे से शाम 07:01 बजे तक (नक्षत्र: रेवती)
  • 5 दिसंबर 2025: सुबह 06:59 बजे से 6 दिसंबर की सुबह 07:00 बजे तक (नक्षत्र: रोहिणी)

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गृह प्रवेश के प्रकार

गृह प्रवेश के तीन प्रकार होते हैं:

  1. अपूर्व गृह प्रवेश: नए घर में पहली बार प्रवेश करना।
  2. सपूर्व गृह प्रवेश: अस्थायी रूप से घर छोड़ने के बाद उसी घर में वापस प्रवेश करना।
  3. द्वंद्व गृह प्रवेश: प्राकृतिक आपदाओं के कारण घर छोड़ने के बाद वापस प्रवेश करना।

गृह प्रवेश के लिए विशेष पूजा विधि

गृह प्रवेश के लिए विशेष पूजा विधि होती है जो नए घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को बनाए रखने के लिए की जाती है। यह विधि हिंदू धर्म के अनुसार की जाती है और इसमें विभिन्न अनुष्ठान शामिल होते हैं। गृह प्रवेश की पूजा विधि निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

1. गणेश पूजा (Ganesh Pooja)

गृह प्रवेश की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से की जाती है, जिन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है। यह पूजा घर में सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने और शुभता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए की जाती है।

  • सबसे पहले घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का पंचामृत बनाएं और गणेश जी को स्नान कराएं।
  • पूजा के लिए धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) और फूलों का प्रयोग करें।

2. कलश स्थापना (Kalash Sthapana)

  • घर के किसी साफ स्थान पर या पूजा स्थल पर तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।
  • कलश में पानी भरें और उसमें आम के पत्ते और एक नारियल रखें।
  • इस कलश को देवी-देवताओं का प्रतीक मानते हुए पूजा की जाती है, जिससे घर में शांति और समृद्धि बनी रहे।

3. नवग्रह पूजा (Navgrah Pooja)

नवग्रहों की पूजा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि घर में रहने वाले लोगों पर सभी ग्रहों की कृपा बनी रहे और जीवन में कोई कष्ट न हो।

  • नवग्रह यंत्र स्थापित करें और नवग्रह मंत्रों का जाप करें।
  • यह पूजा जीवन में सभी ग्रहों के सकारात्मक प्रभावों को आकर्षित करने के लिए की जाती है।

4. हवन (Havan)

हवन गृह प्रवेश की पूजा का एक प्रमुख हिस्सा है। यह यज्ञ अग्नि के माध्यम से किया जाता है, जिसमें अग्नि देवता की कृपा से घर में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

  • हवन के लिए शुद्ध घी, हवन सामग्री, लकड़ी और जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है।
  • गायत्री मंत्र और अन्य वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए हवन किया जाता है।

5. वास्तु शांति पूजा (Vastu Shanti Pooja)

अगर घर नया बना है या उसमें वास्तु दोष हैं, तो वास्तु शांति पूजा की जाती है। यह पूजा घर के दोषों को दूर करती है और घर में रहने वाले लोगों के जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाती है।

  • पूजा के दौरान, भगवान वास्तु देव की पूजा की जाती है और उनसे घर में शांति और सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है।

6. मुख्य द्वार पूजा (Main Door Pooja)

मुख्य द्वार की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह घर का मुख्य प्रवेश स्थान होता है। इसे शुद्ध और शुभ रखने के लिए विशेष पूजा की जाती है।

  • मुख्य द्वार पर हल्दी और कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
  • द्वार पर आम के पत्तों और फूलों की बंदनवार लगाएं।
  • द्वार पर हल्दी, कुमकुम और अक्षत (चावल) से अभिषेक करें।

7. दीप प्रज्वलन (Lighting Lamps)

पूजा के अंत में पूरे घर में दीपक जलाए जाते हैं, खासकर घर के सभी कोनों में। यह अंधकार को दूर करने और घर में उजाला और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

  • मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाएं और उसे पूरे दिन जलते रहने दें।

8. अन्य देवताओं की पूजा

गृह प्रवेश के दौरान लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इससे घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है और माता लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित किया जाता है।

9. भोजन और भोग

पूजा समाप्ति के बाद, देवी-देवताओं को भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद, प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांटा जाता है। पूजा के उपरांत गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।

10. गाय और बछड़े की पूजा

यदि संभव हो, तो गृह प्रवेश के समय गाय और बछड़े का स्वागत करना और उनकी पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इसे घर में समृद्धि और सुख-शांति लाने वाला कहा जाता है।

गृह प्रवेश के बाद विशेष अनुष्ठान होते हैं?

गृह प्रवेश के बाद कुछ विशेष अनुष्ठान और परंपराएं होती हैं जिन्हें करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नए घर में समृद्धि बनी रहती है। गृह प्रवेश के बाद निम्नलिखित विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं:

1. शांति हवन (Shanti Havan)

गृह प्रवेश के बाद शांति हवन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हवन अग्नि द्वारा घर में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा आती है। शांति हवन करने का उद्देश्य घर में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति लाना होता है। इसमें देवताओं की स्तुति और आहुति दी जाती है।

विधि:

  • हवन सामग्री, गाय के घी, और विशेष जड़ी-बूटियों का उपयोग करके हवन करें।
  • वैदिक मंत्रों का जाप और भगवान गणेश, नवग्रह और अन्य देवताओं को आहुति अर्पित की जाती है।

2. वास्तु शांति पूजा (Vastu Shanti Pooja)

यदि घर नया बना हो या उसमें कोई वास्तु दोष हो, तो वास्तु शांति पूजा करना अनिवार्य होता है। यह पूजा घर के सभी दोषों को समाप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए की जाती है।

विधि:

  • वास्तु देवता और नवग्रहों की पूजा की जाती है।
  • घर के सभी हिस्सों में विशेष मंत्रों का उच्चारण और तिलक किया जाता है।
  • वास्तु दोष दूर करने के लिए वैदिक अनुष्ठान और पूजा का आयोजन किया जाता है।

3. सप्तधान्य पूजा (Saptadhanya Pooja)

सप्तधान्य पूजा के अंतर्गत सात प्रकार के अनाज (जैसे चावल, गेहूं, दालें आदि) से भगवान की पूजा की जाती है। इसे संपन्नता का प्रतीक माना जाता है और घर में अन्न और धन-धान्य की वृद्धि के लिए किया जाता है।

विधि:

  • सात प्रकार के अनाज लेकर उन्हें धूप-दीप के साथ पूजा में शामिल करें।
  • पूजा के बाद ये अनाज घर के मुख्य द्वार पर छिड़कें, जिससे समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

4. दूध उबालने की परंपरा (Boiling Milk Tradition)

गृह प्रवेश के तुरंत बाद घर की रसोई में पहली बार दूध उबालने की परंपरा होती है। इसे बहुत शुभ माना जाता है। यह अनुष्ठान घर में समृद्धि और शांति का प्रतीक है।

विधि:

  • नए घर में पहली बार रसोई में दूध उबालें।
  • दूध का उबालना इस बात का संकेत है कि घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी और समृद्धि हमेशा बनी रहेगी।
  • उबले हुए दूध का प्रसाद के रूप में वितरण करें।

5. तुलसी पूजा (Tulsi Pooja)

तुलसी के पौधे की पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य लाने के लिए की जाती है। तुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र और देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। गृह प्रवेश के बाद तुलसी का पौधा घर के आंगन या बालकनी में लगाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।

विधि:

  • तुलसी के पौधे पर जल अर्पित करें और दीपक जलाएं।
  • तुलसी माता की आरती करें और उनसे परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें।

6. मुख्य द्वार पर तोरण बांधना (Toran at Main Door)

गृह प्रवेश के बाद मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से बनी तोरण (बंदनवार) बांधने की परंपरा है। यह बुरी शक्तियों को दूर रखता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

विधि:

  • आम के पत्तों और फूलों से बनी बंदनवार मुख्य द्वार पर बांधें।
  • यह तोरण परिवार की सुरक्षा और समृद्धि के लिए लगाया जाता है।

7. ध्यान और ध्यान-स्थापन (Meditation and Focus Establishment)

गृह प्रवेश के बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर ध्यान करना भी शुभ माना जाता है। घर के सभी सदस्य मिलकर देवी-देवताओं का ध्यान करते हैं और घर में शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

विधि:

  • घर के मंदिर या पूजा स्थल पर दीप जलाएं।
  • सभी सदस्य एक साथ बैठकर मंत्रों का उच्चारण करें और ध्यान करें।

8. अन्नप्राशन (First Cooking Ritual)

घर में पहली बार भोजन पकाने की परंपरा भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे अन्नप्राशन कहते हैं और इसे शुभ संकेत माना जाता है।

विधि:

  • नए घर में पहली बार अन्न पकाकर भगवान को अर्पित करें।
  • इसके बाद उस भोजन को परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में बांटें।

9. गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना

गृह प्रवेश के बाद गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है। इससे देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।

10. सामूहिक आरती (Collective Aarti)

गृह प्रवेश के बाद, सभी परिवार सदस्य एकत्र होकर सामूहिक आरती करते हैं। इससे घर में एकता और सामंजस्य बना रहता है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

विधि:

  • मुख्य देवता की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
  • सभी सदस्य आरती में शामिल हों और सकारात्मक माहौल बनाए रखें
गृह प्रवेश में किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए?

गृह प्रवेश के समय मंत्रों का उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह पूजा और अनुष्ठान को शुद्ध और प्रभावी बनाता है। विभिन्न देवताओं की पूजा के लिए विभिन्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए गए हैं जो गृह प्रवेश के समय उच्चारित किए जा सकते हैं:

1. भगवान गणेश का मंत्र (शुभारंभ के लिए):

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए गृह प्रवेश के प्रारंभ में गणेश जी का आह्वान करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र से घर में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।

मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः।

अर्थ: भगवान गणेश को नमन, कृपया हमारे सभी कार्यों में सफलता प्रदान करें और विघ्नों का नाश करें।

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2. वास्तु देवता का मंत्र (वास्तु शांति के लिए):

वास्तु शांति पूजा गृह प्रवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें घर के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है।

मंत्र: ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् स्वावेशो अनमीवो भवत्वस्मिन्ह्रदे।

अर्थ: हे वास्तु देव, आप हमारे घर में निवास करें और इसे शुभता, समृद्धि और शांति से भर दें।

3. महामृत्युंजय मंत्र (सुरक्षा और शांति के लिए):

महामृत्युंजय मंत्र का उपयोग गृह प्रवेश के दौरान घर की सुरक्षा, समृद्धि और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा के लिए किया जाता है।

मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

अर्थ: हम भगवान शिव की आराधना करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, और संसार को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। कृपया हमें जीवन के सभी बंधनों से मुक्त कर अमरता का वरदान दें।

4. श्री लक्ष्मी माता का मंत्र (धन और समृद्धि के लिए):

लक्ष्मी माता की पूजा से घर में धन और समृद्धि का आह्वान किया जाता है। गृह प्रवेश के समय इस मंत्र का उच्चारण लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।

मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।

अर्थ: महालक्ष्मी माता को नमन, कृपया हमारे घर को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि से भर दें।

5. गायत्री मंत्र (सर्वसिद्धि और शांति के लिए):

गायत्री मंत्र सर्वशक्तिमान सूर्य देवता की आराधना का मंत्र है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करता है।

मंत्र: ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

अर्थ: हम उस दिव्य शक्ति का ध्यान करते हैं, जो समस्त जगत का पालन करने वाली है। वह हमारे बुद्धि को उजागर करे और हमें सही मार्ग दिखाए।

6. नवग्रह शांति मंत्र (ग्रह दोषों को दूर करने के लिए):

यदि गृह प्रवेश के समय घर में नवग्रहों की पूजा की जा रही हो, तो इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है जिससे घर पर सभी ग्रहों की कृपा बनी रहे।

मंत्र: ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहु केतवः सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवंतु॥

अर्थ: हम सभी नवग्रहों की स्तुति करते हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव और अन्य देवताओं के प्रतिनिधि हैं। कृपया हमारे जीवन को शांति और संतुलन प्रदान करें।

7. हनुमान चालीसा (सुरक्षा के लिए):

अगर आप चाहते हैं कि आपके घर की सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा हो, तो हनुमान चालीसा का पाठ बहुत प्रभावी होता है।

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समापन:

गृह प्रवेश के समय इन मंत्रों का सही विधि और श्रद्धा से उच्चारण करने से घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह मंत्र देवी-देवताओं का आह्वान करते हैं और घर को सभी प्रकार के विघ्न-बाधाओं से मुक्त रखते हैं। यदि संभव हो, तो किसी योग्य पंडित या ज्योतिषी की मदद से इन मंत्रों का उच्चारण करें ताकि पूजा विधि पूरी तरह से शुद्ध और प्रभावी हो।

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