अच्युतस्याष्टकम् – Achyutashtakam Lyrics
भगवान विष्णु की स्तुति में रचित एक अत्यंत पवित्र और लोकप्रिय स्तोत्र है, जिसे आद्य शंकराचार्य ने रचा है। इसमें भगवान विष्णु के विभिन्न नामों और स्वरूपों का गुणगान किया गया है। अच्युत का अर्थ है “अविनाशी” या “जिसका पतन नहीं हो सकता”। इस स्तोत्र का पाठ भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के संकटों का निवारण करने के लिए किया जाता है।
अच्युतस्याष्टकम् के लाभ:
- सभी संकटों से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ जीवन के सभी संकटों और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें कष्टों से बचाते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: अच्युतस्याष्टकम् का नियमित पाठ भक्त की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। यह भक्त को भगवान विष्णु के चरणों में स्थिर भक्ति प्रदान करता है।
- सुख और शांति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है। भगवान विष्णु की कृपा से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद दूर होते हैं।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति: भगवान विष्णु को समृद्धि और ऐश्वर्य के देवता माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि आती है।
- पापों का नाश: अच्युतस्याष्टकम् का पाठ पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है।
- भय और चिंता से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय, चिंता और असुरक्षा की भावना समाप्त हो जाती है। भगवान विष्णु अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- भक्ति में स्थिरता: अच्युतस्याष्टकम् का नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु की भक्ति में स्थिरता प्राप्त होती है। भक्त का मन भगवान विष्णु के चरणों में स्थिर हो जाता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु का ध्यान और उनकी स्तुति व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करती है। यह स्तोत्र व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्त करने में सहायक होता है।
पाठ विधि:
- स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें: सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाएं।
- दीपक और धूप जलाएं: भगवान विष्णु के सामने दीपक और धूप जलाएं। उन्हें पुष्प, तुलसी दल, मिष्ठान्न और फल अर्पित करें।
- संकल्प लें: अच्युतस्याष्टकम् का पाठ करने से पहले मन में संकल्प लें कि आप भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं।
- एकाग्रता से पाठ करें: श्रद्धा और भक्ति के साथ अच्युतस्याष्टकम् का पाठ करें। भगवान विष्णु के स्वरूप और उनके गुणों का ध्यान करते हुए यह स्तोत्र पढ़ें।
- आरती करें: पाठ समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें। आरती के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करें।
- प्रसाद वितरण करें: पूजा के बाद भगवान विष्णु को अर्पित किया गया प्रसाद सभी भक्तों में बांटें। प्रसाद ग्रहण करने के बाद भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
विशेष: अच्युतस्याष्टकम् का नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र जीवन के सभी कष्टों को दूर करने और सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक है।
अच्युतस्याष्टकम्-Aachyutashtakam Lyrics in Hindi
अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥1॥
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥२॥
विष्णवे जिष्णवे शाङ्खिने चक्रिणे
रुक्मिणिरागिणे जानकीजानये ।
बल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने
कंसविध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥३॥
कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥४॥
राक्षसक्षोभितः सीतया शोभितो
दण्डकारण्यभूपुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरौः सेवितोऽगस्तसम्पूजितो
राघव पातु माम् ॥५॥
धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा
केशिहा कंसहृद्वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकःसूरजाखेलनो
बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥६॥
विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं
प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं
लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥७॥
कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं
रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलं
किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥८॥
अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं
प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य
वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ॥९॥
श्री शङ्कराचार्य कृतं!
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