durga-puja-pushpanjali

दुर्गा पूजा पुष्पांजली Durga Puja Pushpanjali

दुर्गा पूजा पुष्पांजली Durga Puja Pushpanjali in hindi

देवी दुर्गा को श्रद्धा और भक्ति से अर्पित किए गए पुष्पों के माध्यम से की जाने वाली एक विशेष पूजा विधि है। इसे दुर्गा पूजा के दौरान विशेष रूप से किया जाता है, खासकर नवरात्रि और दुर्गा अष्टमी के दिन। पुष्पांजलि का अर्थ है “फूलों के माध्यम से अर्पण,” जिसमें भक्त देवी को श्रद्धापूर्वक फूल चढ़ाते हैं। यह पूजा विधि देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

दुर्गा पूजा पुष्पांजलि के लाभ:

  1. देवी की कृपा प्राप्ति: पुष्पांजलि अर्पित करने से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
  2. मनोकामनाओं की पूर्ति: जो भक्त सच्चे हृदय से पुष्पांजलि अर्पित करता है, उसकी सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देवी दुर्गा अपने भक्तों के जीवन में आशीर्वाद और सफलता लाती हैं।
  3. सकारात्मक ऊर्जा और शांति: पुष्पांजलि अर्पित करने से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। देवी दुर्गा की कृपा से परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है।
  4. रोगों और कष्टों से मुक्ति: देवी दुर्गा की पूजा और पुष्पांजलि अर्पित करने से व्यक्ति को जीवन के सभी प्रकार के रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। देवी की शक्ति से जीवन में आने वाले संकटों का नाश होता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: पुष्पांजलि अर्पण का एक आध्यात्मिक महत्व है। यह भक्त को देवी दुर्गा के प्रति समर्पण और भक्ति का अनुभव कराता है, जिससे उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  6. परिवार और समाज में सुख-समृद्धि: दुर्गा पूजा के दौरान पुष्पांजलि अर्पित करने से पूरे परिवार और समाज में सुख, शांति, और समृद्धि का वातावरण बनता है। देवी की कृपा से सभी का कल्याण होता है।
  7. शत्रुओं पर विजय: देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। दुश्मनों की नकारात्मक ऊर्जा और योजनाओं का नाश होता है।

दुर्गा पूजा पुष्पांजली की विधि:

  1. स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें: सबसे पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाएं।
  2. दीपक और धूप जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएं। देवी दुर्गा को फूल, चंदन, फल, और मिठाई अर्पित करें। अगरबत्ती भी जला सकते हैं।
  3. पवित्र जल से स्नान कराएं (आचमन): पूजा की शुरुआत करते समय पवित्र जल से अपने हाथों को धोएं और आचमन (जल का पान) करें। यह प्रक्रिया आत्मशुद्धि के लिए होती है।
  4. संकल्प लें: अपने मन में संकल्प लें कि आप श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ दुर्गा की पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना कर रहे हैं।
  5. देवी का ध्यान करें: पुष्पांजलि अर्पण करते समय देवी दुर्गा का ध्यान करें। उनके विभिन्न रूपों, शक्तियों और गुणों का स्मरण करें और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
  6. पुष्प अर्पित करें: अब दोनों हाथों में फूल लेकर देवी दुर्गा को अर्पित करें। आप “ॐ दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए फूल अर्पित कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को तीन बार दोहराएं।
  7. मंत्र उच्चारण: पुष्पांजलि अर्पण के दौरान देवी दुर्गा के मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे:
    ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
    1. आरती करें: पुष्पांजलि अर्पण के बाद देवी दुर्गा की आरती करें। आरती के दौरान दीपक घुमाएं और भक्ति भाव से देवी का गुणगान करें।
    2. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद देवी को अर्पित किया हुआ प्रसाद सब भक्तों में बांटें। प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
    3. ध्यान और समर्पण: अंत में कुछ समय के लिए ध्यान करें और देवी दुर्गा के प्रति समर्पण भाव से प्रार्थना करें। देवी की कृपा का अनुभव करने का प्रयास करें।

    विशेष:

    दुर्गा पूजा के दौरान पुष्पांजलि अर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह देवी की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। इसका नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥

द्वितीय पुष्पांजली मंत्र
ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी ।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते ॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः ॥

तृतीया पुष्पांजली मंत्र
ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥१॥

सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते ॥२॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते ॥३॥


यह भी पढ़े : श्री दुर्गा चालीसा | आरती श्री दुर्गा जी | महालक्ष्मी व्रत कथा | दुर्गा स्तोत्र | अन्नपूर्णा स्तोत्र | मां लक्ष्मी स्तोत्र

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *