राम रघुनाथ अष्टकम् – Shri Ram Raghunath Ashtakam
भगवान श्री राम की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध अष्टक है। इसमें भगवान राम के रघुकुल नायक स्वरूप और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र उनके भक्तों को जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति दिलाने और भगवान राम की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। श्री राम के नाम का जप और अष्टक का पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और धर्म के मार्ग पर अग्रसर करता है।
राम रघुनाथ अष्टकम् के लाभ:
- संकटों से मुक्ति: राम रघुनाथ अष्टकम् का नियमित पाठ जीवन के संकटों, कठिनाइयों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- मानसिक शांति: यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। इससे मन की चिंताओं का नाश होता है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: भगवान राम के गुणों का स्मरण करते हुए इस अष्टक का पाठ करने से भक्त की धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा और विश्वास: श्री राम का नाम और उनके रघुनाथ स्वरूप का ध्यान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सद्गुणों की प्राप्ति: भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उनके गुणों का स्मरण करते हुए इस अष्टक का पाठ व्यक्ति में सत्य, संयम, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा जैसे सद्गुणों का विकास करता है।
- दुष्ट और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: राम रघुनाथ अष्टकम् का पाठ भक्त को दुष्ट शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और भूत-प्रेत से सुरक्षा प्रदान करता है।
- शत्रुओं पर विजय: भगवान राम की कृपा से इस अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और उसके विरोधी शांत होते हैं।
- समृद्धि और खुशहाली: इस अष्टक का नियमित पाठ घर में समृद्धि, सुख-शांति और खुशहाली लाता है।
राम रघुनाथ अष्टकम् का पाठ विधि:
- स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ रखें और भगवान राम की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाएं।
- दीपक और धूप जलाएं: भगवान राम के सामने दीपक और धूप जलाएं। पूजा सामग्री में पुष्प, फल, और नैवेद्य रखें।
- भगवान राम का ध्यान करें: पाठ से पहले भगवान राम का ध्यान करें और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें। संकल्प लें कि आप भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करते हुए पाठ करेंगे।
- एकाग्रता के साथ पाठ करें: पूरी एकाग्रता और श्रद्धा के साथ राम रघुनाथ अष्टकम् का पाठ करें। भगवान राम के गुणों का ध्यान करते हुए उनका स्मरण करें।
- पाठ का समय: राम रघुनाथ अष्टकम् का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, परंतु प्रातःकाल या संध्या के समय इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। राम नवमी, एकादशी या अन्य पवित्र अवसरों पर इसका पाठ विशेष लाभकारी होता है।
- आरती और प्रसाद अर्पण करें: पाठ समाप्त होने के बाद भगवान राम की आरती करें। भगवान को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
- ध्यान और समर्पण: पाठ के बाद कुछ समय के लिए ध्यान करें। भगवान राम के प्रति समर्पण भाव रखें और उनकी कृपा का अनुभव करने की कोशिश करें।
विशेष: राम रघुनाथ अष्टकम् का पाठ करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
राम रघुनाथ अष्ठकम्
दशरथनन्दन-दाशरथीघन- पूर्णचन्द्रतनु- कान्तिमयम्
दिव्यसुनयन-रण्जीतरञ्जन – रमापतिवीर-सीतानाथम्
गहनकानने-लक्ष्मीलक्ष्मीपति-
पितृसत्यधारी-सत्यसुतम्
पूर्णसत्यदेव-राघवमाधब-रामरघुनाथ-पदौभजे ॥१॥
मण्डितधरणी-खण्डिततनुनतमस्तकेभूषित-क्लेशभारम्
सम्भबतियुगेयुगे-नानाकृतधृतरूप-अरूपस्वरूप-शस्त्रधरम्
पापासुरनिधन-साधुपरित्राण-दरिद्रदारुण-त्राणमूर्त्तिम्
दीर्घवक्षस्थल-कौमुदकमल-
रामरघुनाथ-पदौभजे ॥ २ ॥
घनघनघनीभूत-कौशल्यासम्भूत- रामरमाकान्त-जगन्नाथम्
शान्तसुशीतल-सुनील अनल-नीलतरलरल-तबमुखम्
चन्दनविमर्दन-मदनमोहन-नग्ननिमग्नधीर-भक्तरमम्
हस्तेशस्त्रधारी-त्रिभुबनविहारी- रामरघुनाथ-पदौभजे ॥३॥
अहल्यातारक-बलीसंहारक- शत्रुविनाशक- विश्वदेवम्
प्रेमप्रदायक-ब्रह्माण्डनायक-तारणपतक-सत्यप्रियम्
दशमुखमर्द्धन-भक्तप्राणधन- नित्यनिरञ्जन – सर्वसारम्
सर्वमनोरञ्जन-सर्वमानभञ्जन – रामरघुनाथ-पदौभजे ॥४॥
विक्रान्तकुण्डीर-स्थिरमनोहर- दिव्यकलेवर-मायाधरम्
नीरजबदन-पङ्कजलोचन-पुष्करचरण- मोक्ष्यप्रदम्
रामरामहेराम- श्रीरामजयराम-रामरमणचित्तेचित्तधरम्
पतिपतिसीतापति-भूपतिश्रीपति-रामरघुनाथ-पदौभजे ॥५॥
मन्दरमान्दर-सानन्दसुन्दर-तरुणधारूणपति-सृष्टिधरम्
सदाप्रजाबत्सल-कोमलउत्पल-विमलश्यामल-कलेवरम्
जानकीवल्लभ-तबकरपल्लव-सौरभदुर्लभ-तत्त्वसारम्
मोक्ष्यप्रदायक-आनन्ददायक – रामरघुनाथ-पदौभजे ॥६॥
मारूतिसेवित-इन्दिरावन्दित- विश्वसन्दनीत- श्रीकन्दरम्
चण्डवातगति-छिन्दतिदुर्गति-सृष्टिप्रलयस्थिति-मुलात्मूलम्
हेप्रभुईश्वर-श्रीधरभूधर-सर्वांगसुन्दर-रंगनाथम्
कृपालुसागर – नित्यमनोहर- रामरघुनाथ-पदौभजे ॥ ७ ॥
तब अनुस्मरण- तबपरिचिन्तन-प्रध्यानपठन- नित्यसुखम
मुखेतबगापन-तबलीलावर्णन-तबनामेमार्जन- शुद्धमयम्
क्लेशक्लेशमहाक्लेशभबसूरा देबेश रक्षाकुरुस्वामी-गोरक्षकम्
हे रघुनन्दन-सर्वक्लेशखण्डन-रामरघुनाथ-पदौभजे ॥८॥
ममबनरोदन-परितापअर्दन-अपसारतबसंग-रघुनाथम्
तबपददर्शन-सदाचित्तेचिन्तन-ममप्राणप्राणधन-चक्रधरम्
उत्कलसम्भवशुभागसुभगभणतितबमालीका-गोनायकम्
दीनकृष्णदास-प्रतिश्वासप्रश्वास-रामरघुनाथ-पदौभजे ॥९॥
| इति रामरघुनाथ अष्टकम् सम्पूर्णम् |
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