Shiv Stuti in Hindi – Get the Shiv Stuti pdf

Shiv-Stuti

शिव स्तुति – भगवान शिव के स्तोत्र और उनके हिंदी अर्थ | Shiv Stuti with Meaning

1. नमस्ते अस्तु भगवन् विष्णुर्वूपिण्डात्मकम्

श्लोक:

नमस्ते अस्तु भगवन् विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्तकाय।
त्रिकाग्निकालाय कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन् महादेवाय नमः॥

हिंदी अर्थ:

हे भगवान विश्वेश्वर, महादेव, त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले), त्रिपुरान्तक (त्रिपुरासुर का संहार करने वाले), त्रिकाल (भूत, वर्तमान, भविष्य) के नियंत्रक, कालाग्नि रुद्र, नीलकण्ठ, मृत्युंजय (मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले), सर्वेश्वर (सबके स्वामी) और सदाशिव को मेरा प्रणाम। श्री महादेव, आपको नमस्कार है।


2. कर्पूरगौरं करुणावतारं

श्लोक:

कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवम् भवानीसहितं नमामि॥

हिंदी अर्थ:

कर्पूर के समान गौरवर्ण वाले, करुणा के अवतार, संसार के सार, भुजंग (सर्प) को हार के रूप में धारण करने वाले भगवान, जो सदैव मेरे हृदय कमल में वास करते हैं। मैं उन भगवान शिव और माता भवानी को नमन करता हूँ।


3. आशुतोष शिव स्तुति

श्लोक:

आशुतोषं शिवं शङ्करं सत्त्वमेकं
गौरीपतिं मृगधरं महेशम्।
तत्पादपद्मं मयि सन्निधत्तां
मर्त्येक्षितं सर्वसिद्धिप्रदं च॥

हिंदी अर्थ:

जो भगवान शिव आशुतोष (शीघ्र प्रसन्न होने वाले) हैं, एकमात्र सत्त्वगुण के धारक, गौरीपति, मृगधारी (हिरण की खाल धारण करने वाले), और महेश्वर हैं, उनके चरणकमल मुझ पर सदा कृपा करें, और मुझे सर्वसिद्धियाँ प्राप्त हों।


4. नमामि शमीशान निर्वाण रूपं

श्लोक:

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

हिंदी अर्थ:

मैं शमी के स्वामी भगवान शिव को प्रणाम करता हूँ, जो निर्वाण रूप हैं, सर्वव्यापी हैं, ब्रह्म और वेदों के स्वरूप हैं। वे निराकार, निर्गुण, और इच्छा रहित हैं। मैं उस भगवान शिव की उपासना करता हूँ, जो आकाश में रहते हैं और जो चिदाकाश (ज्ञान के आकाश) के रूप में हैं।


5. शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र

श्लोक:

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥

हिंदी अर्थ:

जो नागराज को हार के रूप में धारण करते हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, जिनका शरीर भस्म से लिप्त है, जो महेश्वर (सर्वश्रेष्ठ देव) हैं, जो नित्य (शाश्वत), शुद्ध, और दिगम्बर (वस्त्ररहित) हैं। मैं “न” अक्षर रूपी शिव को नमन करता हूँ।


6. रुद्राष्टकम्

श्लोक:

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

हिंदी अर्थ:

मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो ईशान और निर्वाण स्वरूप हैं। वे सर्वव्यापक हैं, ब्रह्म और वेदों के स्वरूप हैं। वे स्वयं निर्गुण, निर्विकल्प और इच्छा रहित हैं। मैं उस चिदाकाश में निवास करने वाले शिव की उपासना करता हूँ।


7. त्वमेव माता च पिता त्वमेव

श्लोक:

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥

हिंदी अर्थ:

हे शिव! आप ही मेरे माता-पिता हैं, आप ही मेरे बंधु और सखा (मित्र) हैं। आप ही विद्या (ज्ञान) हैं और धन-संपत्ति भी। हे देवों के देव, आप ही मेरे लिए सर्वस्व हैं।


8. शिव तांडव स्तोत्रम्

श्लोक:

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

हिंदी अर्थ:

जिनकी जटाओं से गंगा की पावन धारा बह रही है, जो अपने गले में विशाल सर्पों की माला धारण करते हैं, और जिनके डमरू की ध्वनि “डम-डम” की गूंजती रहती है, ऐसे भगवान शिव अपने तांडव नृत्य के माध्यम से हमें शिवमय बना दें।


9. शिव गायत्री मंत्र

मंत्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

हिंदी अर्थ:

हम उस पुरुष रूप महादेव का ध्यान करते हैं। महादेव के रूप में रुद्र हमें सही मार्ग पर प्रेरित करें।


10. महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

हिंदी अर्थ:

हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सुगंधित हैं और जो सभी का पालन-पोषण करते हैं। हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और अमरता का वरदान दें।


शिव स्तुति का महत्व:

  • भगवान शिव की स्तुति करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है।
  • यह पापों का नाश करने और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने का साधन है।
  • शिव स्तुति करने से व्यक्ति को आंतरिक शक्ति, स्थिरता, और मोक्ष प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है।
  • प्रत्येक स्तुति भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करती है और शिव की करुणा, शांति, और शक्ति का प्रतीक है।

इन स्तुतियों का नियमित पाठ भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।

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