श्री रुद्राष्टकम् – Shri Rudrashtakam Lyrics
भगवान शिव की स्तुति में रचित एक अद्वितीय और अत्यधिक शक्तिशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र तुलसीदास जी द्वारा रचित है और इसमें भगवान शिव के महिमामय स्वरूप और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। इसका पाठ भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को शांति, सुरक्षा, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है।
श्री रुद्राष्टकम् के लाभ:
- सभी संकटों से मुक्ति: श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करने से जीवन के सभी संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति प्रदान करते हैं।
- मानसिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है। भगवान शिव की कृपा से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद दूर होते हैं।
- शत्रुओं पर विजय: श्री रुद्राष्टकम् का नियमित पाठ करने से भक्त को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह स्तोत्र शत्रुओं की बुरी योजनाओं का नाश करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: भगवान शिव का यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर, और तंत्र-मंत्र से सुरक्षा प्रदान करता है। यह व्यक्ति के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
- स्वास्थ्य और आरोग्यता: श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से रोग और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। भगवान शिव की कृपा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और आरोग्यता प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का पाठ भक्त की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। यह साधना और ध्यान में एकाग्रता बढ़ाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।
- सुख-समृद्धि का आशीर्वाद: भगवान शिव की कृपा से श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह जीवन में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए अत्यधिक लाभकारी है।
- भय और चिंता से मुक्ति: श्री रुद्राष्टकम् का पाठ सभी प्रकार के भय, चिंता और मानसिक अस्थिरता को दूर करता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति का मन स्थिर और शांत रहता है।
श्री रुद्राष्टकम् का पाठ विधि:
- स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें: सबसे पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ रखें और भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग के सामने आसन लगाएं।
- दीपक और धूप जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएं। भगवान शिव को पुष्प, बिल्वपत्र, चंदन, फल और नैवेद्य अर्पित करें। शिवलिंग पर जल या दूध अर्पित करें।
- संकल्प लें: श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करने से पहले संकल्प लें कि आप श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं। भगवान शिव से अपने जीवन के कष्टों और समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करें।
- श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करें: अब पूरे मनोयोग और श्रद्धा के साथ श्री रुद्राष्टकम् का पाठ करें। इस दौरान भगवान शिव के स्वरूप और उनकी महिमा का ध्यान करें।विशेष: श्री रुद्राष्टकम् का नियमित पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र जीवन के सभी संकटों को दूर करने और सुख-शांति और समृद्धि लाने वाला है।
॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥
न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम् ॥
यह भी पढ़े : शिवजी की आरती | श्री शिव चालीसा | सोमवार व्रत कथा | शिव तांडव स्तोत्र