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अन्नपूर्णा स्तोत्र: Annapurna Stotram

Annapurna Stotram in Hindi

Annapurna Devi Stotram Lyrics

Annapurna Stotram: आदिशक्ति, जगत जननी, मां जगदंबा के अनेकों रूपों में से एक अन्नपूर्णा का रूप भी है, जिन्हें अन्न की देवी माना जाता है। शास्त्रों में इस अन्न की देवी का बहुत विस्तार से उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि यदि मां अन्नपूर्णा की कृपा हो, तो कोई भी व्यक्ति कभी भूखा नहीं रहेगा। लेकिन अगर देवी की कृपा न हो, तो चाहे व्यक्ति के पास कितना भी धन क्यों न हो, उसे दो समय की रोटी भी सुखपूर्वक प्राप्त नहीं होती। इसी समस्या के समाधान के लिए आदिगुरु शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। तो आइए, हम अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करते हैं।

अन्नपूर्णा स्तोत्र आरंभ

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी, निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥1॥

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी, मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।

काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥2॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी, चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।

सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥3॥

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी, कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी।

मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥4॥

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी, लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।

श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥5॥

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी, वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।

सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥6॥

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी, काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी।

कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥7॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी, वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।

भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥8॥

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी, चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।

मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥9॥

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी, साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥10॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।  ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥11॥

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः। बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥12॥

अन्नपूर्णा स्तोत्र पाठ के लाभ

अन्नपूर्णा स्तोत्र (Annapurna Stotram) का नियमित रूप से पाठ करने से धन और धान्य की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जिस घर में अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ होता है, वहां कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। जिस घर का मुखिया इस स्तोत्र का नियमित पाठ करता है, उस घर में आने वाला हर व्यक्ति संतुष्ट होकर जाता है और घर के सभी सदस्य स्वस्थ रहते हैं।

अन्नपूर्णा स्तोत्र पाठ विधि

अन्नपूर्णा स्तोत्र (Annapurna Stotram in Hindi) का पाठ करने से पहले सुबह स्नान आदि करके शुद्ध हो जाना चाहिए। नित्य पूजा के बाद मां अन्नपूर्णा की तस्वीर या मूर्ति के सामने धूप-दीप जलाकर अन्न अर्पित करें। अन्न के रूप में आप चावल, गेहूं, या धान का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद श्रद्धा से अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।


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