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दुर्गा स्तोत्र: Durga Stotram

वेदों में शक्ति की उपासना को सबसे अधिक फलदायक माना गया है, क्योंकि यही शक्ति सभी को बल प्रदान करती है। यहां तक कि सर्वशक्तिमान देवताओं ने भी शक्ति की आराधना को सबसे महत्वपूर्ण बताया है। जब भी देवताओं पर कोई भयंकर विपत्ति आई है, उन्होंने मां शक्ति, जो दुर्गा का स्वरूप हैं, की स्तुति की है। इसके फलस्वरूप, मां दुर्गा ने उनकी रक्षा की। इसलिए शक्ति की उपासना और उनका आह्वान अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

स्वयं भगवान विष्णु ने भी मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया था, जिससे माता दुर्गा प्रसन्न हुई थीं। आइए, हम भी मां दुर्गा की स्तुति का पाठ करते हैं।

दुर्गा स्तोत्र: Durga Stotram

त्वमेवसर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी। त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका॥

कार्यार्थे सगुणा त्वं च वस्तुतो निर्गुणा स्वयम्। परब्रह्मस्वरूपा त्वं सत्या नित्या सनातनी॥

तेज:स्वरूपा परमा भक्तानुग्रहविग्रहा। सर्वस्वरूपा सर्वेशा सर्वाधारा परात्परा॥

सर्वबीजस्वरूपा च सर्वपूज्या निराश्रया। सर्वज्ञा सर्वतोभद्रा सर्वमङ्गलमङ्गला॥

सर्वबुद्धिस्वरूपा च सर्वशक्ति स्वरूपिणी। सर्वज्ञानप्रदा देवी सर्वज्ञा सर्वभाविनी।

त्वं स्वाहा देवदाने च पितृदाने स्वधा स्वयम्। दक्षिणा सर्वदाने च सर्वशक्ति स्वरूपिणी।

निद्रा त्वं च दया त्वं च तृष्णा त्वं चात्मन: प्रिया। क्षुत्क्षान्ति: शान्तिरीशा च कान्ति: सृष्टिश्च शाश्वती॥

श्रद्धा पुष्टिश्च तन्द्रा च लज्जा शोभा दया तथा। सतां सम्पत्स्वरूपा श्रीर्विपत्तिरसतामिह॥

प्रीतिरूपा पुण्यवतां पापिनां कलहाङ्कुरा। शश्वत्कर्ममयी शक्ति : सर्वदा सर्वजीविनाम्॥

देवेभ्य: स्वपदो दात्री धातुर्धात्री कृपामयी। हिताय सर्वदेवानां सर्वासुरविनाशिनी॥

योगनिद्रा योगरूपा योगदात्री च योगिनाम्। सिद्धिस्वरूपा सिद्धानां सिद्धिदाता सिद्धियोगिनी॥

माहेश्वरी च ब्रह्माणी विष्णुमाया च वैष्णवी। भद्रदा भद्रकाली च सर्वलोकभयंकरी॥

ग्रामे ग्रामे ग्रामदेवी गृहदेवी गृहे गृहे। सतां कीर्ति: प्रतिष्ठा च निन्दा त्वमसतां सदा॥

महायुद्धे महामारी दुष्टसंहाररूपिणी। रक्षास्वरूपा शिष्टानां मातेव हितकारिणी॥

वन्द्या पूज्या स्तुता त्वं च ब्रह्मादीनां च सर्वदा। ब्राह्मण्यरूपा विप्राणां तपस्या च तपस्विनाम्॥

विद्या विद्यावतां त्वं च बुद्धिर्बुद्धिमतां सताम्। मेधास्मृतिस्वरूपा च प्रतिभा प्रतिभावताम्॥

राज्ञां प्रतापरूपा च विशां वाणिज्यरूपिणी। सृष्टौ सृष्टिस्वरूपा त्वं रक्षारूपा च पालने॥

तथान्ते त्वं महामारी विश्वस्य विश्वपूजिते। कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च मोहिनी॥

दुरत्यया मे माया त्वं यया सम्मोहितं जगत्। यया मुग्धो हि विद्वांश्च मोक्षमार्ग न पश्यति॥

इत्यात्मना कृतं स्तोत्रं दुर्गाया दुर्गनाशनम्। पूजाकाले पठेद् यो हि सिद्धिर्भवति वाञ्िछता॥

वन्ध्या च काकवन्ध्या च मृतवत्सा च दुर्भगा। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सुपुत्रं लभते ध्रुवम्॥

कारागारे महाघोरे यो बद्धो दृढबन्धने। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम्॥

यक्ष्मग्रस्तो गलत्कुष्ठी महाशूली महाज्वरी। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सद्यो रोगात् प्रमुच्यते॥

पुत्रभेदे प्रजाभेदे पत्‍‌नीभेदे च दुर्गत:। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं लभते नात्र संशय:॥

राजद्वारे श्मशाने च महारण्ये रणस्थले। हिंस्त्रजन्तुसमीपे च श्रुत्वा स्तोत्रं प्रमुच्यते॥

गृहदाहे च दावागनै दस्युसैन्यसमन्विते। स्तोत्रश्रवणमात्रेण लभते नात्र संशय:॥

महादरिद्रो मूर्खश्च वर्ष स्तोत्रं पठेत्तु य:। विद्यावान धनवांश्चैव स भवेन्नात्र संशय:॥

दुर्गा स्तोत्र के लाभ:

दुर्गा स्तोत्र (Durga Strotam) का पाठ करने से व्यक्ति को निर्भयता की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की कृपा से कोई भी नकारात्मक या बुरी शक्ति उसका सामना नहीं कर सकती। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने भी मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया था। जिस प्रकार देवताओं ने मां दुर्गा की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न किया, वैसे ही आप भी मां को प्रसन्न कर सकते हैं। मां दुर्गा अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं, बस आपको श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी स्तुति करनी होगी। ऐसा करने से निश्चित ही मां दुर्गा की कृपा से आपके जीवन में सुख और समृद्धि का वास होगा।

दुर्गा स्तोत्र का पाठ कैसे करें:

प्रत्येक दिन की तरह स्नान आदि कर शुद्ध हो जाएं। इसके बाद सबसे पहले गणेशजी की स्तुति करें, फिर मां दुर्गा की स्तुति करें। यदि संभव हो तो एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और दुर्गा स्तोत्र (Maa Durga Strotam) का पाठ करें। इससे आपको और अधिक लाभ प्राप्त होगा।

यह जानकारी सामान्य है। अपनी राशि के अनुसार पूजा विधि और सटीक जानकारी के लिए किसी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से बात करें, ताकि कुंडली के आकलन के आधार पर आपको सही मार्गदर्शन मिल सके। इससे आपको अधिकतम लाभ प्राप्त होगा।

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