शिव पंचाक्षर स्तोत्र Shiv Panchakshar Stotram Mantra in Hindi
भगवान शिव की स्तुति में रचित एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। इसमें भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” की महिमा का वर्णन किया गया है। पंचाक्षर का अर्थ है पांच अक्षरों का मंत्र, जो “न”, “म”, “शि”, “वा”, और “य” हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और शक्ति का अनुभव होता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ:
- संकटों से मुक्ति: शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सभी संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें कष्टों से बचाते हैं।
- शत्रुओं पर विजय: भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जप करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह स्तोत्र शत्रुओं की बुरी योजनाओं का नाश करता है।
- मानसिक शांति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। भगवान शिव की कृपा से मानसिक तनाव और चिंता समाप्त हो जाते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर, और तंत्र-मंत्र से सुरक्षित रखता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र भक्त के आध्यात्मिक जागरण और उन्नति में सहायक होता है। भगवान शिव की आराधना से ध्यान और साधना में एकाग्रता बढ़ती है।
- स्वास्थ्य और आरोग्य: शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। भगवान शिव की कृपा से रोगों और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- सुख-समृद्धि का आशीर्वाद: इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। भगवान शिव का आशीर्वाद घर-परिवार में खुशहाली लाता है।
- भय और चिंता से मुक्ति: भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र सभी प्रकार के भय और चिंता को दूर करता है। इसका नियमित जप करने से व्यक्ति के मन में साहस और आत्मबल का संचार होता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ विधि:
- स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें: सबसे पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग के सामने आसन लगाएं।
- दीपक और धूप जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएं। भगवान शिव को पुष्प, बिल्वपत्र, फल, और दूध अर्पित करें। शिवलिंग पर जल या दूध अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- संकल्प लें: शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से पहले संकल्प लें कि आप भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की स्तुति करेंगे। भगवान शिव से अपने जीवन के कष्टों और समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करें।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें: अब श्रद्धा और एकाग्रता के साथ शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें। इस दौरान भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करते हुए उनकी महिमा का ध्यान करें।
श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
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